गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए बहुत मायने रखता है क्योकि इस समय हर औरत के जीवन के साथ – साथ कई तरह के शारीरिक बदलाव भी आते हैं । गर्भ में शिशु के होने के कारण औरतों का वजन एकदम से बढ़ जाता है ।
आइये प्रेगनेंसी के दौरान कुछ करने और कुछ ना करने वाले काम:
- पानी ज़्यादा से ज़्यादा पिए ।
- तला हुआ खाना न खाये ।
- केमिकल वाली चीज़ो से दूर रहे ।
- अधिक फिसलन वाली जगह पर न जाये ।
- ज़्यादा देर बिना कुछ खाए न रहे ।
- झुकें बिल्कुल भी नहीं ।
- ज़्यादा देर तक खड़ी न रहें ।
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों का आहार:
- गर्भावस्था के शुरुआती दिनो में ज़्यादा से ज़्यादा दूध, दही और पनीर आदि लेना चाहिए । इससे बच्चे को कैल्शियम की कमी नहीं होती ।
- अपने आहार में पालक, चकुंदर जैसी सब्जियाँ जरूर शामिल करनी चाहिए ।
- अगर महिला माँसाहारी है तो उसे अंडे और मछली जरूर लेने चाहिए ।
- इस समय कम पारे वाला समुद्री भोजन करना चाहिये ।
- हमें शुरुआती दिनों में कच्चा पपीता और अनानास से बचना चाहिए ।
- गर्भवती महिला को कैफीन युक्त चीज़ें जैसे चाय, कॉफी कम पीनी चाहिए ।
- इस समय बाहर का तला – भुना हुआ भोजन भी नहीं करना चाहिए इससे एसिडिटी हो सकती हैं ।
- गर्भवती को सिगरेट और शराब से परहेज करना चाहिए ।
गर्भावस्था में शिशु को रहता है इन बीमारियों का खतरा:
आईये जानें कैसे बचाये अपने शिशु को इन बीमारियों से :
शिशु को होने वाली इन बीमारियो में सबसे पहला नाम है सेरिब्रल पाल्सी यानि मस्तिष्क पक्षाघात का । यह हमारे देश में हर 500 बच्चों में से किसी एक को ही होता है । इसके प्रमुख कारण इस प्रकार है:
- सबसे पहले तो अगर माँ को थाइरोइड, चिकेनपॉक्स या मल्टीप्ल बर्थ जैसी समस्या हो तो ही बच्चे को सेरिब्रल पाल्सी होने का खतरा होता है ।
- इसका दूसरा कारण है कि ये बीमारी ज़्यादातर पहले महीने में ही पनपनी शुरू हो जाती इसलिए माँ को बहुत ज़्यादा सावधानी बरतनी चाहिए ।
- इसका एक कारण हो सकता है गर्भावस्था में चोट लगना या मस्तिष्क को चोट लगना और या फिर ब्रेन डैमेज हो जाना ।
- बच्चे का समय से पहले पैदा हो जाना भी इसका एक कारण बन सकता है ।
- कई बार एक औरत गर्भ धारन करने के लिए कई तरह की दवाईयां या ट्रीटमेंट लेती है जिसका असर आगे चल कर बच्चे के दिमाग पर भी पड़ सकता है ।
- रक्त संबंधित रोग, हार्मोनल परिवर्तन भी इसके मुख्य कारण है ।
गर्भावस्था में शिशु को बीमारियो से बचाने के उपाय:
- इससे बचने के लिए समय समय पर अपना टीकाकरण करवाए ।
- हर महीने रक़्त संबंधी टेस्ट करवाते रहे ।
- समय समय पर डॉकटरी जाँच जरूर करवाए ।
- कुछ भी परेशानी लगने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करे ।
- थाइरोइड की बीमारी से बचने के लिए आसन जरूर करे ।
- किसी भी गंदगी भरे स्थान पर न जाये ।
- कुछ भी बाहर का खाने से पहले उसे जाँच ले ।
गर्भावस्था में साँस की कमी हो जाना:
गर्भावस्था में ऐसा इसलिये होता है क्योकि अब हमारा शरीर अपना आकार बदल रहा है । हमारे अंदर कई तरह के बदलाव होने शुरू हो गए । इस समय हमे कई बार गहरी साँस भी लेनी पड़ सकती है। इस समय हमे ब्लाउज और टॉप जैसे कपड़े टाइट भी हो सकते है । इस लिए बिलकुल भी तंग कपड़े न पहने और पहले से ही ढीले कपड़े सिला कर रखे । फेफड़ो पर दबाव पड़ने की वजह से ही ऐसा होता है । इस वजह से छाती पर दबाव महसूस होता है कई बार बेहोशी की स्थिति भी हो सकती है । दिल की धड़कन तेज महसूस होती है । लेटने -बैठने पर भी साँस लेने में तकलीफ हो सकती है ।
बचने के उपाय:
- जितना हो सके हल्का व्यायाम करे ।
- सीधी अवस्था में रहने का प्रयास करे ।
- दिन में कुछ देर वॉक जरूर करे ।
- सोते समय सीधी अवस्था में सोये ।
- अगर ज़्यादा साँस चढ़े तो डॉक्टर को जरूर दिखाए।